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लेख

1. कवि, चित्रकार व ‘नई कविता’ के प्रवर्तक डॉ0 जगदीश गुप्त युवा पीढ़ी में डॉ. जगदीश गुप्त और डॉ. धर्मवीर भारती थे | और भी कई थे | और लोगों से घनिष्टता नहीं हो सकी | मेरा मन हमेशा कहा करता है कि ऐसी गोष्ठी हमारे विश्वविद्यालयों में बारम्बार हो तो हमारा स्तर कितना ऊँचा हो जाय |   Download
2. टेराकोटा का अद्भुत संग्रह और डा0 गुप्त का तहखाना   Download
3. चित्रकला और कविता का साहचर्य ‘रेखा सशंत्याचार्याः’ भारतीय कला-दृष्टि का मूल मन्त्र रहा है | वह मूल्यवत्ता का निर्धारक है | मैं मानता हूँ कि ‘चित्रकला सब कलाओं की आँख है’ जो काव्य को (भी) समृद्ध करती है | शब्द की तुलना में रेखाएँ अधिक समृद्ध सिद्ध हुई हैं |   Download
4. गुजराती कवि भालण का कृष्ण जन्म वर्णन मध्यकालीन गुजराती साहित्य में अनेक कृष्णभक्त कवि हुए हैं, जिन्होंने सूर, नन्ददास आदि की तरह ही कभी पदों में, कभी आख्यानों में, कृष्णाचरित गान किया है | ऐसे कवियों में अग्रगण्य हैं नरसी मेहता, भालण, प्रेमानन्द तथा दयाराम |   Download
5. कृष्ण की बाल-लीला गीता और भागवत से लेकर अब तक कृष्ण को परब्रह्म मानने और उनकी लीलाओं को विराट सृष्टि विस्तार-प्रक्रिया के अर्थ में ग्रहण करने की यह परम्परा आज तक अक्षुण्ण है |   Download
6. कृष्णलीला के चित्रण में सान्तता और अनन्तता की समस्या अद्वितीयता, अनेकता, गतिशीलता, प्रतिबिम्बमयता, सूक्ष्मता, रूप-भेद, भाव-भेद, रस-भेद तथा शैली-भेद को कृष्ण-लीला-चित्रण में किस प्रकार असाध्य से साध्य बनाया गया है, यह कलाविदों के सत्संग और जीवन्त सम्पर्क से ही जाना जा सकता है |   Download
7. कविता सूक्तियाँ कविता सूक्तियाँ   Download
8. कुछ निजी विचार-सूत्र उसका अभाव देश-काल और भाषा के विभेदों का अतिक्रमण करने में अपनी सार्थकता व्यक्त करता है | इस नाते भाषा-बद्ध साहित्य की तुलना में कला की व्यापकता और प्रभविष्णुता का विशेष एवं स्वतन्त्र महत्व है |   Download
9. गुजरात और मध्यदेश का सांस्कृतिक सम्बन्ध कृष्ण का यादवों समेत मथुरा को छोड़कर द्वारका में जा बसना एक ऐसी घटना है जिसे दोनों प्रदेशों के सांस्कृतिक सम्बन्ध के प्रतीक रूप में ग्रहण किया जा सकता है। कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा है और देहोत्सर्ग-भूमि गुजरात।   Download
10. रेखाओं के कुशल शिल्पी : डॉ.जगदीश गुप्त ‘नाव के पाँव’ के अतिरिक्त ‘शब्द दंश’ ‘हिमविद्ध’ आदि संकलनों के अतिरिक्त नईकविता के एक से लेकर आठ अंक तक का सम्पादन मैंने किया है , परिमल के संयोजक के रूप में भी मैं कार्य कर चुका हूँ   Download
11. काव्य-सृजन और कवि का ‘ब्रह्म’ ‘ब्रह्म’ को मैथिलीशरण गुप्त ने कई बार पहचाना और अन्ततः उसके निर्णय को अपने सजग मन की चेष्टाओं से ऊपर प्रतिष्ठित किया।   Download
12. नवल किशोर 55 राजस्थान साहित्यकार प्रस्तुति नवल किशोर   Download
13. अर्धशती की कविता यात्रा और जगदीश गुप्त जगदीश गुप्त नई कविता आन्दोलन से उसके आरम्भ से ही सक्रियता से जुड़े रहे | आपने सन 54 से 67 तक अनियतकालीन ‘नई कविता’ नामक बहुचर्चित कविता अंको का सम्पादन किया जिससे शुरुआत से ही इस आन्दोलन को एक नई दिशा मिली, मंच मिला, और उसका स्वरूप और काव्यशास्त्र का विकास-विस्तार हुआ, साथ ही कविता आन्दोलन ने अपनी पहचान भी बनाई |   Download
14. जो प्रयाग में सम्भव है, वह दिल्ली में नहीं हर देश की कला किसी-न-किसी वाद का आश्रय लेकर ही सार्थक सृजन करे, यह आवश्यक नहीं है | अपनी संस्कृति और अपनी जनता से जुड़कर किसी ऐतिहासिक आवश्यकता या उपलब्धि की प्रेरणा भी उसे नए शिल्प की दिशा में गतिशील कर सकती है |   Download
15. “जीवन्त बवंडर” निराला और उन्हें राखी से बाँधती महादेवी महादेवी और निराला का स्नेह-सूत्र पूरे परिवेश को बाँधे हुए था | निराला भाई, उसी से उपजा | महादेवी के मन में कच्चे सूत की पावनता दृढ़ से दृढ़तर होती गई | निराला की कलाई उसी अत्मीयता का प्रतीक थी |   Download
16. जब मैं प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्ययन करने आया 1944 में 10 दिसम्बर को “परिमल” नामक संस्था की स्थापना हुई जिसकी प्रेरणा निराला जी के काव्य “परिमल” से प्रेरित थी | इसकी प्रतिक्रिया में कुछ समय बाद पन्त जी की रचना ‘गुंजन’ पर अधारित दूसरी संस्था “गुंजन” अस्तित्व में आई और छायावाद के दो महाकवियों की प्रेरणा से यहाँ का वातावरण गुंजरित होने लगा |   Download
17. 3 अगस्त, 1988 सचिव वक्तव्य भारतीय मनीषा कवि को सर्वोपरि स्थान देती रहती है। यूरोपीय देशों की तरह यहाँ कवि को असामाजिक और अवांछित प्राणी कभी नहीं माना गया। आगे चलकर यहाँ भी कवि मानव-अधिकार के निर्धारक तथा जन्मजात प्रतिपक्षी माने जाने लगे।   Download
18. शब्द और अर्थ पृथक सत्ता रखते हैं इसी प्रकार लिपि में तथा अन्य संकेत विधियों में ‘अर्थ’ शब्द-निरपेक्ष होकर अवतरित होता है। शब्द श्रवणीय है; अर्थ बुद्धि ग्राह्य। वाणी और साहित्य में ही आकर शब्द और अर्थ दोनों अन्योन्याश्रित, असंपृक्त तथा अभिन्न अवस्था प्राप्त करते हैं। शब्दार्थ के एक-प्राण हो जाने में ही साहित्य की सार्थकता है।   Download
19. कैलाश गौतम : कवि कथन मनुष्यता को बचाये और जिलाए रखने का जितना काम आज तक अकेले अविता ने किया है उतना सैकड़ों राजनीतिक पार्टियाँ शताब्दियों तक नहीं कर सकती | वे बहुधा मनुष्य को नगण्य या क्षुद्र बना देती हैं जो मुझे कदापि सह्य नहीं है |   Download
20. समय की स्मृति : जगदीश गुप्त पुस्तक: समय की स्मृति : लेखक : विश्वनाथ प्रसाद तिवारी   Download
21. चित्रकार जगदीश गुप्त चित्रकार के रूप में उन्होंने कलाकृतियों का गहरा निरीक्षण किया है | उनके सभी चित्र तो मैंने देखे नहीं किन्तु जो देखे हैं उन्हीं के आधार पर कह रहा हूँ | चित्रकार बनने के लिए अपने आतराफ देखने की क्षमता उनमें है |   Download
22. चित्रकार, कवि मोलाराम की चित्रकला और कविता मोलाराम राज-परिवार के साथ श्रीनगर छोड़कर अलकनन्दा के उस पार टेहरी-गढ़वाल नहीं गए। श्रीनगर में हस्तिदल चैतरिया को मोलाराम सन् 1903 में मिले। किन्तु मालूम होता है कि मोलाराम की चित्रकला की ख्याति नेपाल की राजधानी काँतिपुर तक पहुँच चुकी थी।   Download
23. छन्द और रचनाशीलता का निजी अनुभव मेरे निकट ‘लय की नदी’ में ‘गति’ और ‘यति’ की स्थिति बन्धनों से स्वयं मुक्त हो जाती है |   Download
24. ‘आजु ब्रज मैं हरि होरी मचाई’ होली मदनोत्सव की परम्परा का पर्व है कि वर्षोत्सव का, नवान्न ग्रहण का अवसर है कि अग्नि पूजा की याज्ञिक परम्परा का अवशेष प्रह्लाद की बुआ ‘होलिका’ के दाह में उसका मूल छिपा है या पूतना के वध में, मैं इन जानी-सुनी बातों के दोहराने के फेर में नहीं पड़ूँगा |   Download
25. इलाहाबाद और धर्मवीर भारती बी.ए. की पहली कक्षा में मेरे सहपाठी थे बिशन नारयण टंडन, नौनिहाल सिंह और धर्मवीर भारती | म्योर हॉस्टल में मुझसे मिलने भारतीजी आते थे | उस समय उन्होंने पहली कहानी ‘पूजा’ लिखी थे, जिसको सुनकर ‘झा’ साहब ने उन्हें प्रभूत आशीर्वाद दिया और भारती ‘भारती’हो गए |   Download
26. अभिमत : देवेन्द्र शर्मा की पुस्तक ‘कालजयी’ मेरे लिए पन्त जी और निराला जी छायावादी काव्य पुरुष के अमृत और गरल से छलछलाते नेत्र-युगल रहे हैं, तो प्रसाद जी और महादेवी जी को उसके मस्तिष्क और अनुभूति प्रवण हृदय का प्रतीक माना है |   Download
27. संगीत से कविता की प्रकृति भिन्न है शब्द में लय की स्थिति तो परंपरा से मान्य रही है, ‘छंद’ उसी का नियोजित रूप है, पर अर्थ की लय की ओर बहुत कम लोगों का ध्यान गया है।   Download
28. पंत जी ने खड़ीबोली को आत्मविश्वास प्रदान किया जब मैंने 1954 में नयी-कविता निकालने का संकल्प किया तो पंतजी ने न केवल संस्थापक सदस्य बनकर राशि प्रदान की वरन् उसके पहले अंक के लिए भी जो प्रेरक शब्द लिखकर दिये वे समग्र नयी कविता आन्दोलन के लिए अविस्मरणीय हैं | नयी कविता में निषेध और प्रतिवाद की मुद्रा को निराला से प्राप्त किया | किंतु वैचारिकता और नये मनुष्य की कल्पना में उसे निराला से अधिक पंत के द्वारा प्रेरणा मिली |   Download