1. |
आदिम एकांत |
भटकनों में अर्थ होता है |टूटना कब व्यर्थ होता है |
ज़िंदगी कच्चे घड़े-सी है,
आँच देकर हर विषम अनुभव पकाता है,
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2. |
नयी कविता |
नयी कविता के आठ खण्डों को तीन खण्डों में प्रकाशित करने की योजना इसलिए बनायी गयी कि उसके सभी पक्ष काव्य मनीषियों के समक्ष उद्घाटित सकें। |
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3. |
आधुनिक कवि : जगदीश गुप्त |
इस काव्य-संग्रह की सारी कविताएँ डॉ0 गुप्त ने स्वयं चुनी है। और अब उन्हें अकरादि-क्रम से प्रकाशित किया जा रहा है। डॉ0 जगदीश गुप्त का व्यक्तित्व, कृतित्व का संक्षिप्त परिचय भी इस संग्रह में है। सम्मेलन कृतित्व को ही अपना वाङ्मय-मधुपर्क प्रदान किया करता है। |
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4. |
अक्रोश के पंजे |
“आक्रोश के पंजे” की कविताएँ किसी भूमिका की अपेक्षा नहीं रखतीं। उनके भीतर जो कुछ है वह अपनी बात स्वयं कहने की शक्ति रखता है। |
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5. |
बहु लोचना नदी |
कम शब्दों में अधिक अर्थ सहेजना कवि-कर्म की कसौटी रहा है | ‘अरथ अमित अति आखर थोरे’ के रूप में मानसकार ने इसे पहले ही मान्यता दे दी है | |
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6. |
बोधि वृक्ष |
बुद्ध के जीवन को काव्य का विषय बनाने के पीछे मेरे मन में अनेक प्रकार के प्रेरणा-सूत्र |
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7. |
कवितान्तर |
कविता की महत्ता का एक अन्य कारण यह भी है कि वह साक्षात्कार की वाणी का सहजतम एवं शुद्धतम रूप बनकर सामने आती रही है और आज के या आगामी युग के मानव को ऐसे साक्षात्कार की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ऐसा कौन कह सकता है। |
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8. |
शम्बूक |
मैंने शम्बूक को ‘हरिजन’ की अपेक्षा ‘भूमि-पुत्र’ के रूप में प्रस्तुत करना इसलिए अधिक श्रेयकर समझा है कि उसकी संगति आधुनिक विचारधारा से पूरी तरह लग जाती है जबकि भक्ति-आंदोलन की देन के रूप में ‘हरिजन’ शब्द अच्छे वर्ष का द्योतक होते हुए भी मूलतः मध्यकालीन मनोवृत्ति का ही परिचय देता है। हरि-भक्त रूप में मनुष्य की महत्ता एक बात है और मनुष्य रूप में उसकी गरिमा की स्वीकृति दूसरी बात। |
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9. |
गोपा गौतम |
काव्य-रचना के सन्दर्भ में नयी कविता ने मुझे निरन्तर नयी विचारणा की प्रेरणा दी है। |
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10. |
हिम-विद्ध |
शब्दहीन अट्टहास राशीभूत कानों ने नहीं - मुग्ध आँखों ने सुना |
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11. |
जयंत |
किसी जाग्रत रचना-क्षण में अचानक शचीन्द्र-पुत्र जयन्त के प्रसंग ने मुझे स्त्री-पुरूष सम्बन्ध को सर्वथा नये आयाम से देखने की प्रेरणा दी |
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12. |
प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला |
योरोप में अत्यन्त पुरातन शिला-चित्र खोजे जा चुके हैं, उनसे भी अधिक पुराने चित्र |
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13. |
शब्द दंश |
आज कविता का आग्रह सौंदर्य की अपेक्षा सत्य पर अधिक दिखायी दे रहा है | |
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14. |
युग्म |
व्यक्ति के लिए व्यक्ति की चाह एक सुगंधित राह । नारी को जन्मतः निकृष्ट मानकर किसी भी प्रकार के स्वस्थ मानव सम्बन्ध का विकास नहीं हो सकता। |
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15. |
सांझ |
जिस दिन से संज्ञा आई छा गई उदासी मन में, ऊषा के दृग खुलते ही हो गई सांझ जीवन में। |
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16. |
नाव के पाँव |
नीचे नीर का विस्तार ऊपर बादलों की छाँव, चल रही है नाव; चल रही है नाव |
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17. |
माँ के लिए |
यह जो दीवार-घड़ी है उस पर एक उदास गौरया रोज़ शाम से आकर गुपचुप बैठी रहती |
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18. |
कुम्भ-दर्शन |
कुम्भ-पर्व आत्ममंथन को समुद्र-मंथन का रुपक देकर अमृत-कलश की कल्पना लोक-जीवन में साकार करने में सफल रहा है || कुम्भ-दर्शन मेरे निकट आत्म-दर्शन का पर्याय हो गया इसीलिए मैंने उसके लिखने का दायित्व स्वीकार किया | |
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19. |
रीतिकाव्य-संग्रह |
जिस प्रकार भक्ति-काव्य के साहित्यिक सौष्ठव एवं रस का आस्वादन करने के लिए आवश्यक नहीं हैं कि आस्वादक व्यक्ति भक्त हो ही उसी प्रकार रीतिकाव्य के कलात्मक सौन्दर्यदर्शन एवं रसबोध के लिए रूढ़िवादी अथवा दरबारी मनोवृत्ति अनिवार्य है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। |
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20. |
ब्रजभाषा कृष्ण-भक्ति काव्य |
ब्रजभाषा में कृष्ण सम्बंधी अधिकांश काव्य-रचना सम्प्रदायों के अंतर्गत हुई | इन सम्प्रदायों में वल्लभ, राधावल्लभ, गौड़ीय, निम्बार्क तथा हरिदासी सम्प्रदाय प्रमुख हैं | |
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21. |
गुजराती और ब्रजभाषा कृष्ण-काव्य का तुलनात्मक अध्ययन |
मध्यकाल में महान् भक्ति आन्दोलन से अनुप्रेरित होकर राम और कृष्ण सम्बन्धी जो विशाल साहित्य निर्मित हुआ वह हिन्दी, बंगला, मराठी, गुजराती आदि सभी भाषाओं में उपलब्ध होता है |
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22. |
AN ANTHOLOGY OF JAGDISH GUPTA’S POEM |
This anthology contains the poems of the late Professor Dr. Jagdish Gupta, noted Hindi literary figure, and is selected from his vast literary output. It is being published under the auspices of the Project for Indian Cultural Studies founded by Franco-Indian Pharmacuticals Pvt. Ltd., in Mumbai. |
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23. |
शान्ता राम की बहन (संवाद-काव्य) |
‘शान्ता’ मेरे भीतर प्रेरणा के रूप में इतनी जाग्रत रही कि रोग-शय्या भी मुझे परास्त नहीं कर सकी | मैं अपनी जिजीविषा के साथ बच ही गया | शान्ता और राम के अभेद का मुझे प्रत्यक्ष अनुभव हुआ | मेरे राम ने मुझे शान्ता रचने की पुनः शक्ति दी | |
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